कांग्रेस के स्थापना दिवस के लिए राष्ट्री कार्यक्रम के लिए नागपुर को सेलेक्ट करना बहुत साहास का परिचय देता है। यह इस बात का इशारा है कि कांग्रेस ने इस बार संघ परिवार के घर में घुसकर उस पर वैचारिक हल्ला बोलने का फैसला कर लिया है। बहुत सारे लोगों को इस पार्टी से ये शिकायत थी कि वह विचारधारा की बात नहीं करती है। इस बार राहुल गाँधी ने अपने भाषण को विचारधारा की जंग करार दिया। इस मामले में उन्होंने देश में डर के माहौल और खुद भाजपा के सांसदों के मन में जो डर है उसका उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि कांग्रेस में ये अंतर है कि वहाँ सिर्फ एक आदमी के मन की बात नहीं सुनी जाती है वहाँ सभी को बोलने का अधिकार है और हर कोई रोक टोक कर सकता है। इसके अलावा गाँधी ने युवा आई बेरोजगारी की समस्या का भी जिक्र किया और बताया कि फिलहाल देश में जीस तरह की बेरोजगारी है वैसी पिछले सालों में कभी नहीं थी।
महंगाई के बारे में उन्होंने बताया कि देश का सारा धन कुछ चंद लोगों की जेब पीछे आ रहा है। कुछ उद्योगपति जो है उस पर कब्जा कर रहे हैं। इसलिए देश के अंदर बड़े पैमाने पर क्षमता पड़ रही है औरo लोग गरीब से गरीब होते जा रहे हैं। इस प्रकार जनमानस के मूलभूत प्रश्नों से उन्होंने लोगों का ध्यान दूर किया। इसके साथ ही राहुल ने विभिन्न समुदायों की भागीदारी का प्रश्न भी उठाया और कहा कि देश के सबसे बड़े 90 केंद्रीय अधिकारियों में केवल तीन का संबंध ओबीसी समाज से हैं, जबकि उस समाज की जनसंख्या। 50% से अधिक है। इसी प्रकार दलित और आदिवासी समाज की भी कोई नुमाइंदगी नहीं है। दिल्ली में सत्ता सम्भालते ही कांग्रेस पार्टी जातिगत जनगणना करवाकर सबको उसकी भागीदारी सुनिश्चित करेगी। इस प्रकार राहुल गाँधी ने भाजपा के कमंडल के विरुद्ध मंडल का झंडा उठाकर उसको बहुत बड़ा चैलेंज दे दिया हैl यह, उनकी सर्व समावेशी यात्रा का संदेश है जो संघ के संकीर्ण हिंदुत्व का तोड़ है l देश को फिलहाल चुनावी वोटो के बजाय मूलभूत प्रश्नों पर विचारधारा के आधार पर संघर्ष करने की आवश्यकता है|
---------------
We must explain to you how all seds this mistakens idea off denouncing pleasures and praising pain was born and I will give you a completed accounts..
Contact Us